बालोद जिले में राइस मिल और जिला विपणन अधिकारी के बीच चल रहे अनबन प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है ,बालोद जिले के मिलरो का पिछले 2 वित्तीय वर्ष के कस्टम मिलिंग, एफआरके (फोर्टीफाइड चांवल बनाने)परिवहन, सहित अन्य कार्यों की राशि आज तक भुगतान नहीं हुआ वही ये राशि नही मिलने से खासकर छोटे राइस मिलरो के सामने नए धान उठाव और मिलिंग कर उसे वापस जमा करने की एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है, पिछले वर्ष धान उठाव के बाद कई छोटे मिलर इन्ही आर्थिक समस्यायों के चलते आज तक शासन के पास आज तक अपने चांवल जमा नही कर पाए वही इन मिलरो को अब चांवल जमा करने लगातार विभाग पत्र के माध्यम से दबाव भी बना रहे है दूसरी तरफ इस वर्ष के खरीफ फसल के धान उठाने को लेकर अधिकारियो द्वारा मिलरो पर दबाव बनाते दिखे जिसके बाद मिलर और अधिकारियो की एक प्रशासनिक ग्रुप में मिलर और बालोद जिला विपणन अधिकारी के बीच बहस छिड़ गई और बहस यहां तक आगे बढ़ गई मिलरो ने ग्रुप में ही अधिकारी को आंदोलन को चेतावनी दे डाली बात बिगड़ते देख बालोद जिला खाद्य अधिकारी ने मामले को शांत कराने का प्रयास किया लेकिन इसके बाद डीएमओ कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी ओंकारेश्वर चंद्राकर ने ग्रुप को एडमिन मोड पर कर दिया जिसके बाद नाराज राइस मिलर एक एक करके ग्रुप से 80 प्रतिशत मिलर बाहर हों गए। वही बालोद डीएमओ के व्यवहार बालोद जिले के मिलारो में नाराजगी कम नहीं हो रहा वही अब जिले के कई मिलरों ने डी ओ रिक्वेस्ट भी डालना बंद कर दिया है मामला यही शांत नही हुआ तो आने वाले दिनों में इसका सीधा असर धान उठाव और उसके बाद धान खरीदी पर दिख सकता है। आपको बतादे मिलर और डीएमओ के बीच तनाव इतना बढ़ चुका है कि मिलर अपने व्हाट्सएप ग्रुप के डीपी पर ही लिख दिया पेमेंट दो धान उठवाओ #DMO
वही इस मिलर और डीएमओ के अनबन के बीच कुछ मिलरों ने प्रदेशरुची से चर्चा कर बताए कि 7/11/23 को ज़िले के मिलर द्वारा एफसीआई अरवा अनुबंध में डाले गये सरना धान के रिक्वेस्ट को मार्कफ़ेड द्वारा पतला धान में परिवर्तित कर दिया गया। जबकि उक्त पतला धान का उसना चावल बनता है मामले में मिलरों द्वारा लगातार विभाग से निवेदन एवम् पत्राचार करने पर आज दिनांक 29/11/23 को शाम 6 बजे तक निरस्तीकरण का ऑप्शन आया वो भी विभिन्न शर्तों के साथ।जिसमे भी कई मिलरो के मॉड्यूल में,निरस्तीकरण का ऑप्शन खुल ही नहीं रहा।वही शर्तों में कहा गया है कि इन मिलरो को भविष्य में प्रोत्साहन की पात्रता नहीं रहेगी।
इस मामले पर जिले के मिलर ने बताया कि डीएमओ कार्यालय द्वारा मिलरो को परेशान करने के लिए,ऑटो DO का भी ऑप्शन लाया जा रहा है।मिलर द्वारा रिक्वेस्ट नहीं डालने की स्थिति में डीएमओ द्वारा मिलर का DO बिना उसकी मर्ज़ी से कही भी किसी भी क़िस्म का ऑटो DO काट दिया जाएगा।जिसपर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए मिलरों ने बताया कि ये सब मिलर एकता को हतोत्साहित करने का षड्यंत्र स्थानीय डीएमओ कार्यालय द्वारा किया जा रहा।
वही मिलर ने बताया कि पूर्व में जब धान के अन्य क़िस्म का DO जारी हो गया था तब मार्कफ़ेड द्वारा बोला गया था कि अब रेशों का निर्धारण,स्थानीय कलेक्टर द्वारा किया जाएगा,किंतु फिर से दो दिन पहले,मिलर द्वारा डाले गये सरना धान के रिक्वेस्ट को मोटा में कन्वर्ट कर दिया गया।
समस्या को लेकर मिलरों ने बालोद कलेक्टर से किए मुलाकात
पूरे मामले में मिलरों द्वारा मंगलवार को बालोद ज़िला कलेक्टर से मिल अपने समस्या को बताए जिस पर बालोद कलेक्टर द्वारा मिलरों को उनके सारी समस्यायो का स्थाई निराकरण का आश्वासन भी दिया गया है।
आपको बतादे जिले के धान खरीदी केंद्रों में लगातार धान की आवक बनी हुई है शुक्रवार की स्थिति में 20 से अधिक केंद्रों में धान बंपर लिमिट पार कर चुका है वही मिलर और डीएमओ के बीच की विवाद अब प्रशासन के लिए बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है मामले पर प्रदेश से लेकर स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा मिलरो के साथ सामंजस्य बनाकर काम करने की रणनीति बना रहे है लेकिन जिला विपणन अधिकारी के द्वारा मिलरो के साथ किए जा रहे बर्ताव से मिलर खासे नाराज दिख रहे है । जिसके चलते धान के उठाव में मिलरो की नाराजगी साफ दिख रही है और धीरेंधीरे जिले के अन्य धान खरीदी केंद्रों में बंपर लिमिट के आंकड़े भी लगातार बदल रहे है स्थिति यही रही तो निश्चित रूप से इसका असर धान खरीदी पर पड़ सकता है और इसका खामियाजा निश्चित रूप से आने वाले दिनों में किसानो और प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है।
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