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सिटी कोतवाली और कलेक्टर बंगला के पास एनएच 930 में 17 वर्ष से भी कम उम्र के बच्चो से कराया जा रहा डामरीकरण का कार्य…14 से 18 के बच्चो के लिए क्या है बाल श्रम नियम

बालोद – बालोद जिला अंतर्गत एनएच 930 में चल रहे सड़क निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों के कई लापरवाही सामने आ चुकी है मामलो पर खबरे प्रकाशन के बाद जिम्मेदारों ने इस पर लीपापोती या पर्दा डालने का काम जरूर किया लेकिन कार्य के दौरान लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रहा है। बालोद जिला मुख्यालय अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार कन्हैया लाल अग्रवाल कंपनी द्वारा डामरीकरण का कार्य प्रारंभ कराया गया लेकिन इस डामरीकरण कार्य के लिए 15 -16 साल के बच्चो से कार्य   कराया जा रहा है

आपको बतादे बालोद जिला जो कि खुद सूबे के महिला एवं बाल विकास मंत्री का गृह जिला है तथा जिस जगह बच्चो से यह कार्य लिया जा रहा है वह जगह जिला के कलेक्टर निवास से महज 100-500 मीटर की दूरी पर तथा सिटी कोतवाली भी इसी जगह मौजूद है। लेकिन इन छोटे बच्चो से कराए  जा रहे  इस रिस्की काम पर किसी का ध्यान नही गया

क्या है नियम

आपको बतादे बाल श्रम अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो से काम करवाना पूर्ण रूप से प्रतिबंध है लेकिन 14 से ऊपर और 18 वर्ष से नीचे के लिए शासन ने जो नियम बनाए है उनके अनुसार  14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को किसी भी खतरनाक व्यवसाय अथवा कार्य में नियोजित नहीं किया जा सकता है। बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2012 के तहत, नियोजित कम उम्र के बच्चे के माता-पिता को भी दंडित किया जा सकता है। वही ऐसे किशोरों को अपने संस्था फैक्ट्री या खतरनाक जगहों पर कार्य करवाने वाले संस्था के विरुद्ध भी कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है मामले पर प्रदेश रुचि ने बाल सरंक्षण से जुड़े पूर्व पदाधिकारियों से भी इस मामले पर चर्चा करने पर बताया गया की जिस जगह बच्चो से काम लिया जा रहा है वह नेशनल हाईवे मुख्य मार्ग के साथ साथ डामरीकरण  कार्य में खतरनाक कैमिकल का उपयोग होता है ऐसे में इन उम्र के बच्चो से कार्य लिया जाना खतरनाक साबित हो सकता है।

क्या कहा बच्चो ने

मामले पर कार्य कर रहे बच्चो से स्थानीय लोगो ने पूछा गया तो उन्होंने बताया अपना नाम और पता बिहार राज्य का बताया तथा बच्चो द्वारा खुद अपना उम्र 16 वर्ष बताया गया लेकिन बच्चो के पास उनके उम्र प्रमाणित करने वाला कोई तथ्य मौजूद नहीं था।

बहरहाल देखना होगा एनएच ठेकदार और अधिकारियो द्वारा लगातार एक के बाद एक लापरवाही के बाद अब छोटे बच्चो से खतरनाक काम करवाए जाने वाले मामले पर प्रशासन आगे क्या कार्यवाही करती है क्योंकि इससे पहले भी कई शिकायते ठेकेदार और विभागीय के खिलाफ मिलने के बाद भी प्रशासन मामले पर अब तक चुप्पी साधे बैठा नजर आए लेकिन इस गंभीर मामले पर क्या रुख अपनाती है ये देखने वाली बात है

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