बालोद – जिले भर के सभी शासकीय कार्यालयों में पदस्थ लिपिकों ने आज एकदिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर मांगे पूरी नही होने पर आगे अनिश्चितकालीन आन्दोलन की चेतावनी दी है…साथ ही कहा कि सरकार जितना काम करा रही है उतना दाम देना पड़ेगा….नही तो इस हड़ताल का रिजल्ट तो दिखेगा ही लेकिन सरकार मांग पूरी नही करती है तो अगले महीने के 4 तारीख से समूचे प्रदेश के सभी विभागों के लिपिक संघ अनिश्चित कालीन आंदोलन पर चले जायेंगे….जिससे सरकार के सारे कार्यालयीन कार्य भी प्रभावित होंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
पूरे मामले में आंदोलन कर रहे लिपिक संघ के पदाधिकारियों कि माने तो छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से लिपिक संवर्गों के वेतनमानों में विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर पिछले 40 वर्षों से निरंतर संघर्ष किया जा रहा है…मामले पर लिपिक कर्मचारी संघ के के पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में राज्य शासन द्वारा लगभग सभी वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन विसंगति का मामला निराकृत किया जा चुका है….छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिक संवर्गों के वेतनमान के निराकरण करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गई… समिति द्वारा अनुशंसित अनेक संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन कर निराकरण किया गया किन्तु जिस सवर्ग (लिपिक) के लिए समिति का गठन किया गया समिति द्वारा अनुशंसा के पश्चात भी लिपिको के वेतनमानों में उन्नयन नहीं किया गया…. उक्त समिति द्वारा जिन सवर्गों के वेतनमान के उन्नयन के लिए अनुशंसा नहीं भी की गई थी उन संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन शासन द्वारा किया जा चुका है। जिसके कारण लिपिक संवर्ग में कुण्ठा एवं निराशा का वातावरण निर्मित हो रहा है। यदि शिक्षकों एवं लिपिकों के वेतनमान का तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो विगत 35-36 वर्षो से लिपिकों के वेतन में बहुत ज्यादा विसंगति है
लिपिक संघ ने बताया कि राज्य शासन द्वारा सातवे वेतनमान में पटवारियों शिक्षाकर्मियों / शिक्षकों, कृषि विभाग एवं पंचायत विभाग में कर्मचारियों का वेतन विसंगति का निराकरण कर सम्मानजनक बेतनमान निर्धारित किया गया है। वर्तमान में वेतनमान में सुधार हेतु गठित पिंगुआ समिति एवं कमलप्रीत सिंह समिति के समक्ष भी लिपिक संघ द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है किंतु समिति की कार्यवाही अत्यंत धीमी गति से होने के कारण लिपिको में निराशा व्यस्त है। लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के वेतनमानों में निरंतर क्षरण को उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लिपिकों के मंच से हमारी मांग पूर्ण करने का आश्वासन दिया है किंतु आज दिनांक तक लिपिकों के वेतनमान में सुधार करने की कार्यवाही लंबित है।
लिपिक संघ ने अपने ज्ञापन के माध्यम से लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के पदनाम परिवर्तन करते हुये तदानुसार वेतनमानों में सुधार करने हेतु आवश्यक पहल करने की मांग की है ।इस आंदोलन में मुख्य रूप से महिला सचिव रजनी वैष्णव शर्मा, जिलाध्यक्ष राजेश कुमार घोड़ेसवार, महिला जिलाध्यक्ष रत्ना ठाकुर, जिला सचिव अश्वनी नायक, कोषाध्यक्ष एम के चंद्राकर, उपाध्यक्ष के के रामटेके, तहसील अध्यक्ष बालोद विष्णु राम साहू, तहसील अध्यक्ष गुरुर राजूलाल साहू, तहसील अध्यक्ष गुंडरदेही भवानी राम साहू, तहसील अध्यक्ष डोंडी लोहारा पी एस तारेन्द्र, तहसील अध्यक्ष डोंडी विजय ठाकुर,धनराज साहू, प्रमोद साहू, सी एम निषाद, चित्ररेखा चंद्राकर राज कुमारी नायक , बी एस ठाकुर, राज कुमारी नायक, प्रतीक तिरपुढे, चंद्र प्रकाश कोठरिया, निरंजन साहू, आकाश चंदेल,रमेश मार्गन्द्र, रमन प्रसाद तिवारी, सरीफ कुरैशी, भूपेंन्द्र भैसारे,तोरण सिंह ठाकुर जितेंद्र पटेल, हरीश कुमार कुल्हाड़े,उमेश बंजारे, माधुरी साहू, नेहा साहू, त्रिवेणी साहू, सी एस लोहले, प्रफुल यादव ,छगन पटेल, वेद प्रकाश साहू, तोमीन साहू, निरंजन साहू, भूपेंद्र साहू, इंद्रजीत यादव, मोकछदा ठाकुर, अलका आर्य, बिंदु देवांगन, सहित जिले के अन्य लिपिक साथी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।