बालोद( मोहित भास्कर)- बालोद जिले के कन्नेवाड़ा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पर्रेगुड़ा (दर्रीटोला) के वन क्षेत्र से भटकते हुए एक पेंगोलिन को देखकर लोग अचंभित रह गए। मंगलवार की सुबह 6 बजे ईंट भट्टे के संचालक एवं अन्य ग्रामीणों ने पेंगोलिन को देखकर इसकी सूचना वन विभाग को दी गयी। रात्रि में बारिश के बाद सम्भवतः यह पेंगोलिन महफूज़ स्थान की तलाश में भटक रहा था ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। फिरहाल ग्रामीणों की मदद से पेंगोलिन को वन विभाग की टीम पकड़कर अपने साथ ले गई है।
क्या हैं पेंगोलिन
ये कीड़े खाने वाले स्तनधारी हैं, जो लगभग 80 मिलियन सालों से धरती पर हैं. यानी एक तरह से ये सबसे लंबा टिकने वाली मैमल्स की कतार में हैं. अफ्रीका और एशिया के घने जंगलों में मिलने वाले ये जीव बहुत खास हैं. ये रेप्टाइल्स की तरह दिखते हैं, जिसकी वजह है उनके शरीर पर लंबी-लंबी स्केल्स का होना. इनकी जीभ 40 सेंटीमीटर लंबी होती है, जिससे वे चींटियां, दीमक और छोटे कीड़े-मकोड़े खा सकें. एक अकेला पेंगोलिन हर साल लगभग 70 मिलियन कीड़े खा जाता है.
खतरे में क्यों है पैंगोलिन
पैंगोलिन की करीब 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से पांच प्रजातियों पर आने वाले समय में विलुप्त होने का खतरा बताया जा रहा है। इन सभी प्रजातियों का उपयोग टीसीएम में किसी न किसी रूप में किया जाता है। यानी चीन इस जानवर की तस्करी कर उसे मारने में सबसे आगे है।
दुनिया में सबसे ज्यादा पैंगोलिन की तस्करी
आपको बतादे पैंगोलिन को बहुत ज्यादा दुर्लभ जंतु माना जाता है इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है। यह एक ऐसा जानवर है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक हो रही है।