बालोद-राजदशहरा मनाने के बाद सोमवार को रिमझिम बारिश के बीच शहर में दुर्गा विसर्जन शोभायात्रा गाजे बाजे,डीजे साउंड व आतिशबाजी के साथ निकाली गई, जितने भी शहर में दुर्गा प्रतिमा स्थापित की गई थी उनका एक साथ रैली निकालकर शहर के गंगासागर तालाब, दसेला तालाब और अन्य तालाबों में विसर्जन का दौर चलता रहा। सुबह से शाम और देर रात तक विसर्जन में हजारों भक्त जुटे माता के जयकारे सेवा गीत के साथ दुर्गा माता को अंतिम विदाई दी गई और कामना की गई कि अगले नवरात्रि भी जल्द आए और दोबारा लोग मां की आराधना में जुड़े जाए। दुर्गा विसर्जन शोभायात्रा में शरीर में सांग, बाना धारण किए माता के भक्तों का उत्साह देखा गया। श्रद्धालुओं ने जवारा एवं देवी की पूजा कर परिवार में सुख एवं शांति के लिए आशीर्वाद मांगा।
गालों व शरीर में लोहे के बाना
शारदीय नवरात्रि में शक्ति की उपासना पूर्ण होने पर महानवमी पर सोमवार को घरों व मंदिरों से जवारा शोभायात्राएं निकलीं। इस दौरान शहर में प्रमुख मार्गों से होते हुए दुर्गा विसर्जन शोभायात्रा निकला गया। दुर्गा की प्रतिमाएं अलग अलग ट्रको में विराजमान करवाए गए थे। तो वही शक्ति के उपासक अपने गालों व शरीर में लोहे के बाना व सांगों को धारण किए हुए शोभायात्रा में मुस्कुराते नाचते गाते चलते रहे।
ट्रैफिक जाम की बनी स्थिति
शहर में जब एक साथ कई दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन शोभायात्रा निकली, तो कुछ जगहों पर जहां सड़क संकरी है। वहां ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बनती नजर आई। हालांकि एसपी जितेंद्र सिंह मीणा के दिशा-निर्देशन में यातायात व बालोद पुलिस की स्थानीय टीम व्यवस्था सुधारने में भी जुटी रही। भक्तों की भीड़ को देखते हुए कुछ देर के लिए रूट को डाइवर्ट भी किया गया था। एक-एक करके सभी मूर्तियां गंगासागर तालाब पहुंचने लगी और विसर्जन का दौर चलता रहा। गोताखोर भी रहे तैनात विसर्जन के दौरान कोई हादसा ना हो इसलिए पुलिस विभाग की ओर से नगर सैनिक और गोताखोर की टीम को भी तैनात किया गया था ताकि भक्तों की मदद की जा सके। हालांकि किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई और आयोजकों ने पूरी सावधानी के साथ मां दुर्गा की बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन किया।
श्रदालुओं को बाटे पोहा और प्रसाद
इस वर्ष शहर के चौक चौराहे में पोहा और प्रसाद वितरण किया गया। शहर के कचहरी चौक, जयस्तंभ चौक, व कर्मा काम्प्लेक्स सहित अन्य चौक चौराहों पर इस विसर्जन शोभायात्रा में शामिल श्रद्घालुओं को पोहा और प्रसाद सहित अन्य चीजों का वितरण किया गया।शहर के अलग अलग धार्मिक संगठनों के लोगों द्वारा को पानी बांटा गया । युवाओं की टीम ने अलग-अलग स्टाल लगाकर श्रद्घालुओं का उत्साह बढ़ाया । कई समितियों ने झांकियों के साथ मां दुर्गा को विदाई दी। सेवा गीत के साथ ही माता को विदाई देने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। गौरतलब है कि बालोद में राज दशहरा के बाद ही दुर्गा विसर्जन होता है। भले ही इक्का-दुक्का प्रतिमाएं दुर्गा नवमी के दिन विसर्जित कर दी जाती है लेकिन अधिकतर प्रतिमा के दूसरे दिन ही विसर्जित की जाती है और इसी रिवाज को अपनाते हुए गुरुवार को शहर के सभी दुर्गा विसर्जन का दौर चला।
माता की भक्ति में लीन होकर झूपने लगे दर्जनों भक्त
शहर के दर्जन भर से अधिक दुर्गा पंडालों में स्थापित माँ दुर्गा की प्रतिमा प्रतिमा को ट्रकों में स्थापित किया गया। ट्रकों के आगे डांग-डोरी व पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ माता सेवा मंडली द्वारा सेवा गीत गया जा रहा था,वही दर्जनों भक्त माता की भक्ति में लीन होकर झुपने लगे थे ,जिसको ग्राम के बैगा द्वारा हुम् धूप देकर शांत कराया गया।ऐसे कई भक्तो ने माँ दुर्गा के सामने झुपते हुए तलाब तक जा पहुचे जहा उन्हें भी शांत कराया गया।ग्राम में माँ दुर्गा की प्रतिमा को भ्रमण करवाने के बाद जयकारा लगाते हुए तालाब पहुंचकर पंडित द्वारा मंत्रोउच्चारण कर विधि विधान व् आरती के साथ विसर्जन किया गया।