*रमन सिंह कर्मचारी हड़ताल पर घड़ियाली आंसू मत बहाये*
*रमन सिंह भूल गये, उन्होंने हड़ताली नर्सो और महिला शिक्षाकर्मियों को पिटवाया था*
मेरा कर्मचारी भाई-बहनों से आग्रह है!
आपको डरने या घबराने की जरूरत नहीं है, भारतीय जनता पार्टी आपके साथ है।
यदि सरकार कोई अनुचित कदम उठाएगी तो मिलकर मुंहतोड़ जवाब देंगे। साथ ही हमारी सरकार बनते ही केंद्र के समान डीए देंगे।
आपका अधिकार, आपको जरूर मिलेगा
— Dr Raman Singh (@drramansingh) September 1, 2022
रायपुर। आज पूरे प्रदेश भर के अधिकारी कर्मचारी अपने दो सुत्रीय मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है जिन्हें सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट के माध्यम से समर्थन देते ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही उनके मांगो को पूरा करने का आश्वाशन दिए थे जिसके बाद मामले में सियासत गरमाने लगी है और इस मामले पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह कर्मचारी आंदोलन पर घड़ियाली आंसू मत बहाये भाजपा का चरित्र मूल रूप से कर्मचारी विरोधी है। रमन सिंह आज कर्मचारियों के हितैषी बनने का ढोंग कर रहे उस दिन को भूल गये जब नर्से हड़ताल में थी उनको दौड़ा-दौड़ा कर पिटवाया था, जेलों बंद करवाया था, रमन सिंह भूल गये उनके राज में शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को उन्होंने कितनी क्रूरता से दमन करवाया था। महिला शिक्षाकर्मियों के लिये बाथरूम और शौचालयों में भी रमन सिंह ने ताला लगवा दिया था। रमन सरकार ने 10 अप्रैल 2006 को कर्मचारियों के हड़ताल के संबंध में आदेश निकाल कर बिना सूचना के हड़ताल पर जाने पर ब्रेक इन सर्विस वेतन काटने और अनुशासनात्मक कार्यवाही का नियम बनाया था। आज रमन सिंह अपने ही बनाये नियम को तानाशाही बता कर निंदा कर रहे है। भूपेश सरकार की प्राथमिकता में कर्मचारी है। मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी किया है। छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार कर्मचारियों के हित के लिए हमेशा से ही फैसले लेते रही है। कर्मचारियों को हड़ताल वापस लेकर सरकार पर भरोसा करना चाहिये, सरकार उनके हित में समय आने पर फैसला करेगी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस सरकार के पिछले साढ़े तीन साल के फैसले बताते है कि कांग्रेस सरकार कर्मचारियों के हितों के लिये संवदेनशील है। जिस पेंशन के सहारे रिटायर्ड कर्मचारी अपना जीवन स्वाभिमान पूर्वक व्यतीत करते थे उस पुरानी पेंशन योजना को कर्मचारी विरोधी भाजपा सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने रिटायर्ड कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए और उन्हें स्वाभिमानी व आत्मनिर्भर जीवन देने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू किया। कर्मचारियों के भविष्य और बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के इस कवायद पर भी मोदी सरकार अड़ंगा लगा रही है। इस योजना को असफल करने के लिए मोदी सरकार 17240 करोड़ रुपए जो कि राज्य के कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है और नई पेंशन योजना के तहत पेंशन फंड रेगुलेटरी एवं डेवलपमेंट अथॉरिटी में जमा की गई है उसे लौटाने को तैयार नहीं हो रही है। शासकीय कर्मचारियों के हित में अंशदाई पेंशन योजना के अंतर्गत राज्य सरकार का अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया गया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोरोनाकाल में भी भूपेश सरकार ने कर्मचारियों के सातवें वेतनमान के बकाये का भुगतान किया था। शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों के हितों को ध्यान में रखते हुए हुए 2 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले छत्तीसगढ़ के सभी शिक्षाकर्मियों के संविलियन शिक्षक के रूप में कर दिया गया है, इसके साथ ही प्रधान पाठक, शिक्षक और व्याख्याता के पदों पर पदोन्नति में 5 वर्ष के अनुभव को एक बार के लिए शिथिल करते हुए घटाकर 3 वर्ष के अनुभव के आधार पर पदोन्नति की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। अनुकंपा नियुक्ति के लंबित आवेदनों पर 10 प्रतिशत की सीलिंग हटाकर संवेदनशीलता से त्वरित निर्णय लेते हुए 3155 से अधिक पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों को सप्ताह में आराम देने के लिए 5 दिन के कार्य दिवस की शुरूआत किया गया। कर्मचारी संगठनों से कांग्रेस पार्टी अपील करती है कि वे हड़ताल का रास्ता छोड़ कर काम पर वापस आये।
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